गीला भी था नजरे झुका के मिला , बिना बात अकड़ना नही सीखा,
पैर हमे भी लगे जवानी के, संस्कारों को खातिर उड़ना नही सिखा,
नाव आज भी खड़ी है,जिंदगी की तलास में क्या करें सुमित
जनाब तैरने में माहिर है,और मैने मछली पकड़ना नहीं सीखा।।
©Mandholia Sumit
मछलीपकड़ना। #शायरी
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