एक रास्ता ऐसा भी है
ना बारिश की फिक्र
जिसकी कोई मंजिल भी नहीं।
मिलों तक सफ़र तय करता हैं।
ना धूप की चिन्ता।
मद मस्त होकर
बेख़ौफ़ सा नजर आता हैं
राहगीरों से बेपरवाह।
ख़ुद से बातें करता रहता हैं
कभी पहाड़ों से गुजर कर
कभी रेगिस्तान से मिल कर
आगे बढ़ता रहता हैं।
©NatureSoul Sanjeetaa Dhaka