White पल्लव की डायरी
पौह फटेगी अब,अंधकार भागेगा
उदयाचल की और बढ़ गया सूरज
अपनी किरणों से धरती को चूमेगा
होगी सुबह जीवन सरपट भागेगा
कलरव करते पक्षी आसमान में
घोसलों से दाना चुनने भागेगा
आधार जीवन का प्रकृति ही है
हवा पानी सब इसके दायरे में है
विकृतियां तो मानव ने पैदा की है
लालच उसका नही जाता है
रोगो के हवाले जिंदगी कर दी
फिर वेक्सीन और दवा बनाता है
खतरे में सबको करके
झूठे विकास के गीत गाता है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#sunset_time आधार जीवन का प्रकृति ही है झूठे गीत विकास के गाता है
#nojotohindi