बीच में पर्दा न रख ये दिलनशी।
हम इतने तो गैर नहीं।
तेरे दीदार को तरसे है इक उमर
एक झलक पाने के क्या हकदार हम नही
खामोश क्यों हो, क्या हुआ है,
ये मौसम में आज कैसा धुआ है।
मुझें फ़िक्र हो रही कुछ कहो भी।
किस गम ने तुम्हारे लबो को छुआ है।
अब जो तुमने कुछ ना कहा,
मै कुछ कर जाऊंगा।
तुम्हारी रुसवाई से नही,
खामोशी से मर जाऊंगा।
©Vijay Sonwane
Parda phir bhi hata nahi 😒😒