"डर और दर्द अब मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन चुके हैं,
चाह कर भी मैं इनसे निजात नहीं पा रही हूँ।
नम आँखें, खामोश लफ़्ज़,
गुमसुम मैं सोचती हूँ ज़िंदगी की यह हक़ीक़त।
आसान नहीं है मेरी ज़िंदगी की यह कसौटी,
तकलीफ़ों के साये में जीना अब मेरी किस्मत बन चुका है।
हर कदम पर बिखरे हैं दर्द के निशान,
ख़ुशियों का साया भी मुझसे रूठकर बैठा है।
©J.S.T.quote
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