ना कोई अपना हुआ ना सच सपना हुआ जब गुजरा तेरी गली स | हिंदी शायरी

"ना कोई अपना हुआ ना सच सपना हुआ जब गुजरा तेरी गली से मुझे देख कर तेरा छिपना हुआ,, अब हमारे दर्मिया कुछ नहीं रहा, तू बता क्या तेरा कोई अपना हुआ ?? ये बारिश ये आहे सब फिजूल है अब, मुझे सुनने वाले क्या तेरा कुछ कुबूल हुआ ,, हमारा हाल भी अब जान ले साकी ,तेरे हर जाम की कसम नशा हुआ तो खूब हुआ , नहीं हुआ तो नहीं हुआ"

 ना कोई अपना हुआ ना सच सपना हुआ
जब गुजरा तेरी गली से मुझे देख कर तेरा छिपना हुआ,,
अब हमारे दर्मिया कुछ नहीं रहा,
तू बता क्या तेरा कोई अपना हुआ ??

ये बारिश ये आहे सब फिजूल है अब,
मुझे सुनने वाले क्या तेरा कुछ कुबूल हुआ ,,

हमारा हाल भी अब जान ले साकी ,तेरे हर जाम की कसम 
नशा हुआ तो खूब हुआ , नहीं हुआ तो नहीं हुआ

ना कोई अपना हुआ ना सच सपना हुआ जब गुजरा तेरी गली से मुझे देख कर तेरा छिपना हुआ,, अब हमारे दर्मिया कुछ नहीं रहा, तू बता क्या तेरा कोई अपना हुआ ?? ये बारिश ये आहे सब फिजूल है अब, मुझे सुनने वाले क्या तेरा कुछ कुबूल हुआ ,, हमारा हाल भी अब जान ले साकी ,तेरे हर जाम की कसम नशा हुआ तो खूब हुआ , नहीं हुआ तो नहीं हुआ

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