दूर यमुना के तट वंशीवट के तले श्याम के बांसुरी जब | हिंदी Poetry

"दूर यमुना के तट वंशीवट के तले श्याम के बांसुरी जब जब है बजे धुन पे थिरके सभी ग्वाल गोपी राधिका प्रेम का रूप है गजब धुन प्रेम की यहां पर देखो कण कण बसी।"

 दूर यमुना के तट 
वंशीवट के तले
श्याम के बांसुरी
जब जब है बजे
धुन पे थिरके सभी
ग्वाल गोपी राधिका
प्रेम का रूप है गजब
धुन प्रेम की यहां पर
देखो कण कण बसी।

दूर यमुना के तट वंशीवट के तले श्याम के बांसुरी जब जब है बजे धुन पे थिरके सभी ग्वाल गोपी राधिका प्रेम का रूप है गजब धुन प्रेम की यहां पर देखो कण कण बसी।

#kavishala #nojotolhabari

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