करवटें बदल बदल के"
दिन गुज़र रहे हैं आवारगी में आजकल,
रातें गुजार रही हैं,करवटें बदल बदल के।
जीना ही मानो अब तो ,दुश्वार हो गया है,
जब से चले गए हैं, मनमीत मेरे दिल के।
सोचा नहीं ज़रा भी, क्या हाल होगा मेरा,
कर साजिशें चले गए ,दुश्मनों से मिलके।
©Anuj Ray
# करवटें बदल बदल के "