राह से भटका हुआ राही सा लग रहा हूं, दिन तो बीत जात | हिंदी शायरी

"राह से भटका हुआ राही सा लग रहा हूं, दिन तो बीत जाते मगर थोड़ी रात भी जग रहा हूं, धूमिल पड़े इस जहां में, थोड़ी चमक तो दे दो, तेरे दर पे सिर झुकाकर, विनती मै कर रहा हूं... ©Shivam vishwakarma"

 राह से भटका हुआ राही सा लग रहा हूं,
दिन तो बीत जाते मगर थोड़ी रात भी जग रहा हूं,
धूमिल पड़े इस जहां में, थोड़ी चमक तो दे दो,
तेरे दर पे सिर झुकाकर, विनती मै कर रहा हूं...

©Shivam vishwakarma

राह से भटका हुआ राही सा लग रहा हूं, दिन तो बीत जाते मगर थोड़ी रात भी जग रहा हूं, धूमिल पड़े इस जहां में, थोड़ी चमक तो दे दो, तेरे दर पे सिर झुकाकर, विनती मै कर रहा हूं... ©Shivam vishwakarma

MERI kavitayen
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