एक चाहत जगी थी, कि वो भी हमें चाहें बिल्कुल हमारी | हिंदी Poetry

"एक चाहत जगी थी, कि वो भी हमें चाहें बिल्कुल हमारी ही तरह, कमबख़्त इस चाहत ने, बाक़ी सभी हसरतों का गला घोंट दिया... ©Yashika"

 एक चाहत जगी थी, कि वो भी हमें चाहें बिल्कुल हमारी ही तरह,
कमबख़्त इस चाहत ने, बाक़ी सभी हसरतों का गला घोंट दिया...

©Yashika

एक चाहत जगी थी, कि वो भी हमें चाहें बिल्कुल हमारी ही तरह, कमबख़्त इस चाहत ने, बाक़ी सभी हसरतों का गला घोंट दिया... ©Yashika

#nakhre #Pain

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