यूंही बस कभी कभी उलझे से लगते हैं ज़रा हैं या नह | हिंदी शायरी

"यूंही बस कभी कभी उलझे से लगते हैं ज़रा हैं या नहीं खुद की तलाश में भटकते हैं ज़रा अब क्या ख़बर कौन असली कौन मुखौटा लगाए हैं बस परखने यूंही निकल आते हैं कभी कभी ज़रा ©Rudra Amritanshu"

 यूंही बस कभी कभी उलझे से लगते हैं ज़रा 
 हैं या नहीं खुद की तलाश में भटकते हैं ज़रा 
 अब क्या ख़बर कौन असली कौन मुखौटा लगाए हैं 
 बस परखने यूंही निकल आते हैं कभी कभी ज़रा

©Rudra Amritanshu

यूंही बस कभी कभी उलझे से लगते हैं ज़रा हैं या नहीं खुद की तलाश में भटकते हैं ज़रा अब क्या ख़बर कौन असली कौन मुखौटा लगाए हैं बस परखने यूंही निकल आते हैं कभी कभी ज़रा ©Rudra Amritanshu

#Self #alone

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