एक चुप्पी जो हर लफ्ज़ में छिपी, जैसे आँसू तो हों, | हिंदी Shayari Vide

"एक चुप्पी जो हर लफ्ज़ में छिपी, जैसे आँसू तो हों, पर आँखें न भीगीं। शायद दिल में कोई बेमतलब सी कसक है, जो न जाने कब से जमी हुई है, कहीं। रात की तन्हाई में भी अक्सर, एक सवाल मन में उठता है। क्यों हर बात पे ये दिल यूं भारी हो जाता है, जैसे कोई राज़ हो जो ज़ुबान तक न आ पाता हो । शिकायतें खुद से या किसी और से, शायद वक्त से है, जो ठहरता ही नहीं। जीवन की इस दौड़ में कहीं कुछ छूट सा रहा, एक सपना, एक चाहत, जो पूरा हो न सका। कभी-कभी सोचती हूँ, ये नाराज़गी किससे है? शायद उन ख्वाबों से, जो अधूरे रह गए। या फिर उस उम्मीद से, जो टूट कर बिखर गई, मगर फिर भी इस दिल ने कभी किसी से शिकायत न की। हर लम्हा जैसे कोई बोझ सा है, जिसे उठाए फिरती हूँ, मगर कहती नहीं। शायद इसीलिए हर खुशी में भी, एक उदासी की परछाई रहती है, कहीं। लेकिन फिर भी, इस दिल में एक उम्मीद बाकी है, कि शायद कोई सुबह ऐसी आएगी। जब ये नाराज़गी खुद-ब-खुद मिट जाएगी, और हर चुप्पी में छुपी हर बात खुद -ब -खुद हो जाएगी। ©silent_03 "

एक चुप्पी जो हर लफ्ज़ में छिपी, जैसे आँसू तो हों, पर आँखें न भीगीं। शायद दिल में कोई बेमतलब सी कसक है, जो न जाने कब से जमी हुई है, कहीं। रात की तन्हाई में भी अक्सर, एक सवाल मन में उठता है। क्यों हर बात पे ये दिल यूं भारी हो जाता है, जैसे कोई राज़ हो जो ज़ुबान तक न आ पाता हो । शिकायतें खुद से या किसी और से, शायद वक्त से है, जो ठहरता ही नहीं। जीवन की इस दौड़ में कहीं कुछ छूट सा रहा, एक सपना, एक चाहत, जो पूरा हो न सका। कभी-कभी सोचती हूँ, ये नाराज़गी किससे है? शायद उन ख्वाबों से, जो अधूरे रह गए। या फिर उस उम्मीद से, जो टूट कर बिखर गई, मगर फिर भी इस दिल ने कभी किसी से शिकायत न की। हर लम्हा जैसे कोई बोझ सा है, जिसे उठाए फिरती हूँ, मगर कहती नहीं। शायद इसीलिए हर खुशी में भी, एक उदासी की परछाई रहती है, कहीं। लेकिन फिर भी, इस दिल में एक उम्मीद बाकी है, कि शायद कोई सुबह ऐसी आएगी। जब ये नाराज़गी खुद-ब-खुद मिट जाएगी, और हर चुप्पी में छुपी हर बात खुद -ब -खुद हो जाएगी। ©silent_03

#lonely नाराजगी 🙂❤️ sad shayari

People who shared love close

More like this

Trending Topic