भौतिकता की दोड़ में जीवन यूँ ही खोते गये | हम स्वय | हिंदी Video

"भौतिकता की दोड़ में जीवन यूँ ही खोते गये | हम स्वयं ही स्वयं से दूर होते गये अमूल्य जीवन के मूल्य यूँ ही लगाते गये मानों कांचों को बटोरा और मणियां खोते गये || क्या थी मंजिल और कहाँ चल पड़े हैं पता स्वयं को नहीं पतन मुहाने में खड़े हैं जीवन की यूँ अविरल धारा सतत बहते जा रही है | फिर भी क्यूं प्यासा कंठ जलते जा रही है? || प्रलय और निर्माण तुम्ही हो | निराकर साकार तुम्ही हो चिन्मय सत्य आनंद अंश हो श्री राम प्रभु के अंश वंश हो || कवि सौरभ धर ©shiv putra "

भौतिकता की दोड़ में जीवन यूँ ही खोते गये | हम स्वयं ही स्वयं से दूर होते गये अमूल्य जीवन के मूल्य यूँ ही लगाते गये मानों कांचों को बटोरा और मणियां खोते गये || क्या थी मंजिल और कहाँ चल पड़े हैं पता स्वयं को नहीं पतन मुहाने में खड़े हैं जीवन की यूँ अविरल धारा सतत बहते जा रही है | फिर भी क्यूं प्यासा कंठ जलते जा रही है? || प्रलय और निर्माण तुम्ही हो | निराकर साकार तुम्ही हो चिन्मय सत्य आनंद अंश हो श्री राम प्रभु के अंश वंश हो || कवि सौरभ धर ©shiv putra

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