White एक वाक़या हुआ मेरे साथ,
निकल नहीं रहे मेरे अल्फाज़,,
आश्चर्यचकित था मैं आज,
क्योंकि चौराहे से निकल रही थी उनकी बारात ।।
देख उड़ गए मेरे होश,
समझ नहीं आया है किसका दोष,,
बैठ बस सोचता रहा,
पहुंचा गई मुझको बड़ा आघात। ।
हस्र ऐसा होगा नहीं सोचा था,
इश्क की राह न ऐसा खोजा था,,
मैं तिल तिल जलता रहा,
अशुभ हो गई मेरी प्रभात। ।
written by संतोष वर्मा azamgarh वाले
खुद की जुबानी। ।
©Santosh Verma
#Wakya #