उस के गालों पर लाली आई हुई है वो मेहदी लगा कर गैर | हिंदी शायरी

"उस के गालों पर लाली आई हुई है वो मेहदी लगा कर गैरो की हम से मिलने आई हुई है बता रही हैं खुद की मजबूरी बो हमे हमारी मजबूरी ना समझ रही वो क्या समझे ना समझ रही वो वो अपने चाहनेवालों की महफिल छोड़ कर आई हुई हैं वो मेहदी लगा कर गैरो की हम से मिलने आई हुई है। ©Deep maan writer"

 उस के गालों पर लाली आई हुई है 
वो मेहदी लगा कर गैरो की  हम से मिलने आई हुई है 
बता रही हैं खुद की मजबूरी बो हमे हमारी मजबूरी ना समझ रही वो क्या समझे ना समझ रही वो 
वो अपने चाहनेवालों की महफिल छोड़ कर आई हुई हैं  
वो मेहदी लगा कर गैरो की हम से मिलने आई हुई है।

©Deep maan writer

उस के गालों पर लाली आई हुई है वो मेहदी लगा कर गैरो की हम से मिलने आई हुई है बता रही हैं खुद की मजबूरी बो हमे हमारी मजबूरी ना समझ रही वो क्या समझे ना समझ रही वो वो अपने चाहनेवालों की महफिल छोड़ कर आई हुई हैं वो मेहदी लगा कर गैरो की हम से मिलने आई हुई है। ©Deep maan writer

Deep maan Lyrics मेहदी लगा कर 💔💔💔💔💔💔💔💔

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