White कमज़ोर नहीं मजबूर हु मैं ।
अपने ही घमंड मे चूर हु मैं ।
अपने सगो को जाना नहीं ।
मैने ऊनको पेहचाना नहीं ।
इंसान के रुप मे जन्म लिया ।
सत्ता के मोह मे पाप किया ।
इंसानियत नहीं है मुझमे ।
ह्यवानीयत भरी पड़ी मुझमे ।
जो पुन्य किया वो भि खो गया ।
पैसे के लोभ मे ये क्या किया ।
ना जाने ये कैसे हो गया ।
सैतानो की दुनिया मे ।
ये इंसान कहाँ खो गया ।
ये इंसान कहाँ खो गया ।
©Author Shivam kumar Mishra
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