मुझे अच्छा लगता है, प्यार से सब को खाना खिलाना,, | हिंदी कविता

"मुझे अच्छा लगता है, प्यार से सब को खाना खिलाना,, पर जूठे बरतन उठाना मुझे अच्छा नही लगता ll अच्छा लगता है मुझे शाम को घूमने जाना, पर मेरे घर देर से आने पे तुम्हारे सवालों का ताना, मुझे अच्छा नही लगता।। अच्छा लगता है मुझे तुमसे घण्टों बातें करना, पर पहरों तुम्हारा मोबाइल पे नजरे टिका ना मुझे अच्छा नहीं लगता।। अच्छा लगता है मुझे मायके जाना, " अभी पिछले साल ही तो गयी थी " तुम्हारा ये कह के डाक से राखी भिजवाना मुझे अच्छा नहीं लगता।। अच्छा लगता है मुझे खुल के मुस्कुराना " पर मै चुप हूँ, उदास हूं" मेरी खामोसी को तुम्हारा नज़र अंदाज़ करना मुझे अच्छा नही लगता।। अच्छा लगता है मुझे , तुम्हारे हर रिश्ते को निभाना " पर मुझ से जुड़े रिश्ते निभाने पर , तुम्हारा हिचकीचाना मुझे अच्छा नहीं लगता ll सारा जीवन तो ससुराल में ही बिताया, "फिर मेरे मरने पे मेरे मायके से कफन मंगवाना " मुझे अच्छा नही लगता ll Richa sinha"

 मुझे अच्छा लगता है, 
प्यार से सब को खाना खिलाना,, 
पर जूठे बरतन उठाना 
मुझे अच्छा नही लगता ll
अच्छा लगता है मुझे शाम को घूमने जाना, 
पर मेरे घर देर से आने पे 
तुम्हारे सवालों का ताना, 
मुझे अच्छा नही लगता।। 
अच्छा लगता है मुझे 
तुमसे घण्टों बातें करना, 
पर पहरों तुम्हारा मोबाइल पे नजरे टिका ना
मुझे अच्छा नहीं लगता।। 
अच्छा लगता है मुझे मायके जाना, 
" अभी पिछले साल ही तो गयी थी " 
तुम्हारा ये कह के 
डाक से राखी भिजवाना 
मुझे अच्छा नहीं लगता।। 
 अच्छा लगता है मुझे खुल के मुस्कुराना 
" पर मै चुप हूँ, उदास हूं"
मेरी खामोसी को तुम्हारा नज़र अंदाज़ करना 
मुझे अच्छा नही लगता।। 
अच्छा लगता है मुझे ,
तुम्हारे हर रिश्ते को निभाना
" पर मुझ से जुड़े रिश्ते निभाने पर , तुम्हारा हिचकीचाना  
 मुझे अच्छा नहीं लगता ll

सारा जीवन तो ससुराल में ही बिताया, 
"फिर मेरे मरने पे मेरे मायके से कफन मंगवाना "
मुझे अच्छा नही लगता ll
        
   Richa sinha

मुझे अच्छा लगता है, प्यार से सब को खाना खिलाना,, पर जूठे बरतन उठाना मुझे अच्छा नही लगता ll अच्छा लगता है मुझे शाम को घूमने जाना, पर मेरे घर देर से आने पे तुम्हारे सवालों का ताना, मुझे अच्छा नही लगता।। अच्छा लगता है मुझे तुमसे घण्टों बातें करना, पर पहरों तुम्हारा मोबाइल पे नजरे टिका ना मुझे अच्छा नहीं लगता।। अच्छा लगता है मुझे मायके जाना, " अभी पिछले साल ही तो गयी थी " तुम्हारा ये कह के डाक से राखी भिजवाना मुझे अच्छा नहीं लगता।। अच्छा लगता है मुझे खुल के मुस्कुराना " पर मै चुप हूँ, उदास हूं" मेरी खामोसी को तुम्हारा नज़र अंदाज़ करना मुझे अच्छा नही लगता।। अच्छा लगता है मुझे , तुम्हारे हर रिश्ते को निभाना " पर मुझ से जुड़े रिश्ते निभाने पर , तुम्हारा हिचकीचाना मुझे अच्छा नहीं लगता ll सारा जीवन तो ससुराल में ही बिताया, "फिर मेरे मरने पे मेरे मायके से कफन मंगवाना " मुझे अच्छा नही लगता ll Richa sinha

मुझे अच्छा नहीं लगता ( गृहणी को समर्पित ) @Meghna kapoor @Monika kundu Shital Bharti @Saumya Singh @Aakansha Rathore

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