भोर की अँखुआती मयूख बन तेरे कपोल पर छन जाऊं, तू प | हिंदी Poetry Video

"भोर की अँखुआती मयूख बन तेरे कपोल पर छन जाऊं, तू पुहुप की तरह चटककर मुझसे सहृदयता का संवलन कर ! साँझ की तिरोहित लालिमा बन तेरी गात में ढल जाऊं, तू छाया की तरह ओढ़कर मेरी विश्रभता का परिरंभन कर ! रैन की अतल सुप्ति बन तेरे स्वपन का नवरत बन जाऊं, तू सोम की तरह दिपदिपाकर अर्थ की रौनकता का सृजन कर ! अविच्युत तेरी आकर्षण आकृति में मित बन तुझमे अट जाऊं, तू श्रृंगार की तरह मुझे पहनकर अपनी सौष्ठवता का निध्यन कर! ©Viraaj Sisodiya "

भोर की अँखुआती मयूख बन तेरे कपोल पर छन जाऊं, तू पुहुप की तरह चटककर मुझसे सहृदयता का संवलन कर ! साँझ की तिरोहित लालिमा बन तेरी गात में ढल जाऊं, तू छाया की तरह ओढ़कर मेरी विश्रभता का परिरंभन कर ! रैन की अतल सुप्ति बन तेरे स्वपन का नवरत बन जाऊं, तू सोम की तरह दिपदिपाकर अर्थ की रौनकता का सृजन कर ! अविच्युत तेरी आकर्षण आकृति में मित बन तुझमे अट जाऊं, तू श्रृंगार की तरह मुझे पहनकर अपनी सौष्ठवता का निध्यन कर! ©Viraaj Sisodiya

#मैं_बन_जाऊं #प्रेम_काव्य #yourquotedidi #yourquote #cinemagraph #Viraaj

People who shared love close

More like this

Trending Topic