हूं तन्हा सा मैं, तन्हाई बेइंतहा भरी है मुझमें, अब | हिंदी शायरी

"हूं तन्हा सा मैं, तन्हाई बेइंतहा भरी है मुझमें, अब तो वास्ता रखना मुश्किल है किसी से, क्योंकि ज़ख्म को सुनना अब बस में नहीं मेरे। ©gunam_niru"

 हूं तन्हा सा मैं,
तन्हाई बेइंतहा भरी है मुझमें,
अब तो वास्ता रखना मुश्किल है किसी से,
क्योंकि ज़ख्म को सुनना अब बस में नहीं मेरे।

©gunam_niru

हूं तन्हा सा मैं, तन्हाई बेइंतहा भरी है मुझमें, अब तो वास्ता रखना मुश्किल है किसी से, क्योंकि ज़ख्म को सुनना अब बस में नहीं मेरे। ©gunam_niru

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