2122 1212 22/112 कुछ तो है जो यहाँ अधूरा है प | हिंदी कविता

"2122 1212 22/112 कुछ तो है जो यहाँ अधूरा है पूछे किससे कहाँ अधूरा है जो बना भी नहीं ज़मां मेरा उस ज़मी पर मक़ां अधूरा है तू ‌ नहीं तो ‌ कहाँ ‌ रहूँ जाके ये जहाँ‌ तो ‌ मेरा ‌ अधूरा ‌ है दूर जाना नहीं कभी मुझसे हमनवा‌ ‌ हमरहां ‌ अधूरा ‌ है इक तु ही है जिसे तुने जाना मानता‌ तू‌ भी क्या अधूरा है याद रखता है याद ‌ आता‌ है मेरा‌ ‌‌ होके‌ ‌‌ वहाँ‌ ‌ अधूरा है बात हर इक "ज़ुबैर" पर आए कहने को क्या तेरा अधूरा है लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN"

 2122 1212 22/112
कुछ  तो  है  जो  यहाँ  अधूरा है
पूछे    किससे   कहाँ   अधूरा है

जो  बना  भी  नहीं   ज़मां  मेरा
उस ज़मी  पर  मक़ां  अधूरा है

तू ‌ नहीं  तो ‌  कहाँ ‌  रहूँ   जाके
ये  जहाँ‌   तो ‌  मेरा ‌ अधूरा ‌ है

दूर  जाना  नहीं    कभी मुझसे
हमनवा‌  ‌   हमरहां ‌   अधूरा ‌ है

इक   तु  ही है जिसे तुने  जाना
मानता‌  तू‌   भी  क्या अधूरा है

याद रखता  है याद ‌ आता‌  है
मेरा‌   ‌‌ होके‌   ‌‌ वहाँ‌  ‌ अधूरा है

बात हर इक "ज़ुबैर"  पर आए 
कहने को  क्या  तेरा अधूरा है

लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

2122 1212 22/112 कुछ तो है जो यहाँ अधूरा है पूछे किससे कहाँ अधूरा है जो बना भी नहीं ज़मां मेरा उस ज़मी पर मक़ां अधूरा है तू ‌ नहीं तो ‌ कहाँ ‌ रहूँ जाके ये जहाँ‌ तो ‌ मेरा ‌ अधूरा ‌ है दूर जाना नहीं कभी मुझसे हमनवा‌ ‌ हमरहां ‌ अधूरा ‌ है इक तु ही है जिसे तुने जाना मानता‌ तू‌ भी क्या अधूरा है याद रखता है याद ‌ आता‌ है मेरा‌ ‌‌ होके‌ ‌‌ वहाँ‌ ‌ अधूरा है बात हर इक "ज़ुबैर" पर आए कहने को क्या तेरा अधूरा है लेखक - ज़ुबैर खान.......✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

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