ये मेरी जिंदगी की कश्ती है ना जाने क्यों तेरे लिए | हिंदी कविता

"ये मेरी जिंदगी की कश्ती है ना जाने क्यों तेरे लिए तरसती है पर जब तेरी कश्ती से टकराती है तो न तो ये संभलती है और ना तो ये डगमगाती है बिना तूफान के तूफान से गुज़रती है ना तो तेरे पास आना चाहती है ना तो तुझसे दूर जाना चाहती है काश हम कभी मिले ही न होते या फिर काश ऐसे कभी गुमसुम ही न होते पर खामोशी भी एक रिश्ता है बीता हुआ लम्हा जिसका फरिश्ता है सोचा न था इस मोड़ में भी आऊंगी जिधर तेरा एक झलक देखना भूला न पाऊँगी इतनी सारी आंखे देखी है मैंने पर तेरी आँखों में ही मेरी आँखों को फिदा होते देखा है मैने ©lisa gupta"

 ये मेरी जिंदगी की कश्ती है
ना जाने क्यों तेरे लिए तरसती है 
पर जब तेरी कश्ती से टकराती है 
तो न तो ये संभलती है 
और ना तो ये डगमगाती है 
बिना तूफान के तूफान से गुज़रती है 
ना तो तेरे पास आना चाहती है 
ना तो तुझसे दूर जाना चाहती है 
काश हम कभी मिले ही न होते 
या फिर काश ऐसे कभी गुमसुम ही न होते
पर  खामोशी भी एक रिश्ता है 
बीता हुआ लम्हा जिसका फरिश्ता है 
सोचा न था  इस मोड़ में भी आऊंगी 
जिधर तेरा एक झलक देखना भूला न पाऊँगी 
इतनी सारी आंखे देखी है मैंने 
पर तेरी आँखों में ही मेरी आँखों को फिदा होते देखा है मैने

©lisa gupta

ये मेरी जिंदगी की कश्ती है ना जाने क्यों तेरे लिए तरसती है पर जब तेरी कश्ती से टकराती है तो न तो ये संभलती है और ना तो ये डगमगाती है बिना तूफान के तूफान से गुज़रती है ना तो तेरे पास आना चाहती है ना तो तुझसे दूर जाना चाहती है काश हम कभी मिले ही न होते या फिर काश ऐसे कभी गुमसुम ही न होते पर खामोशी भी एक रिश्ता है बीता हुआ लम्हा जिसका फरिश्ता है सोचा न था इस मोड़ में भी आऊंगी जिधर तेरा एक झलक देखना भूला न पाऊँगी इतनी सारी आंखे देखी है मैंने पर तेरी आँखों में ही मेरी आँखों को फिदा होते देखा है मैने ©lisa gupta

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