White तृप्ति की कलम से
एक मुक्तक
कर्म पर विश्वास है,कि कर्म कर रही हूँ भाग्य भी साथ देगा।
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फूल हमको न मिले,काँटों की ही दरकार है।
शूल औ पत्थर मिले, उस राह से ही प्यार है।
लक्ष्य अपना नेक हो तो मंजिल मिल जाएगी-
हौसले बुलंद है औ कर्म पर ऐतबार है।।
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स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी
©tripti agnihotri
#Shiva