वो जो बुलाने पर भी ना आये ,
तो किस बहाने से आये ।
ख़ुदा की भी इसमें कोई मर्जी होगी ,
वो जो हमें भुलाने पर उतर आये ।
मिलकर बिछड़ेंगे ऐसा इरादा ना था ,
फिर कैसे वो दिल दुखाने पर उतर आये ।
फूलों कलियों से सजाने वाले राहें को ,
मखमली पाॅंव में कांटे चुभाने पर उतर आये।
इश्क़ के किस्से जो छिपाया करते थे ,
वो महफ़िल में दास्तां सुनाने पर उतर आये।
वन्दना यादव ✒️✒️✒️
8/6/24
10:42 p.m
©Vandana Yadav
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