चाहे जितना कष्ट मुझे दें श्रीमान! मैं बबूल को नहीं | हिंदी कविता Video

"चाहे जितना कष्ट मुझे दें श्रीमान! मैं बबूल को नहीं कहूँगा आम।। पिल्लों को यदि शावक कहना जंगल की मजबूरी है तो ऐसे वन में आग लगाना अब तो बहुत ज़रूरी है।। ग़लत बात पर नहीं झुकूँगा, सच्ची कहता हूँ, भगवान। मैं बबूल को नहीं कहूँगा आम। ~डा॰ कुश चतुर्वेदी , ©Harsh Sharma "

चाहे जितना कष्ट मुझे दें श्रीमान! मैं बबूल को नहीं कहूँगा आम।। पिल्लों को यदि शावक कहना जंगल की मजबूरी है तो ऐसे वन में आग लगाना अब तो बहुत ज़रूरी है।। ग़लत बात पर नहीं झुकूँगा, सच्ची कहता हूँ, भगवान। मैं बबूल को नहीं कहूँगा आम। ~डा॰ कुश चतुर्वेदी , ©Harsh Sharma

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