ऐसी ज़िद का क्या ठिकाना अपना मज़हब छोड़ कर मैं हुआ

"ऐसी ज़िद का क्या ठिकाना अपना मज़हब छोड़ कर मैं हुआ काफ़िर तो वो काफ़िर मुसलमाँ हो गया"

 ऐसी ज़िद का क्या ठिकाना अपना मज़हब छोड़ कर
मैं हुआ काफ़िर तो वो काफ़िर मुसलमाँ हो गया

ऐसी ज़िद का क्या ठिकाना अपना मज़हब छोड़ कर मैं हुआ काफ़िर तो वो काफ़िर मुसलमाँ हो गया

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