वक्त के साथ ढल जायेगा ये सुंदर सा शरीर, गुमान किस चीज का कर रहा है न वक्त तेरा होगा न ये संसार की सुख संपति तेरी होगी ये वक्त तुझे बतायेगा मुट्ठी बांध कर आया था और खाली हाथ जायेगा,, धर्मेंद निषाद की कलम से,,
©dharmendra nishad
जिंदगी मे कुछ नही है सिर्फ वक्त का राज है