प्रतिदिन मनुष्य को सबके हृदय में स्थित परमात्मा की पूजा करनी चाहिए और इस आधार पर देवताओं, संतों, सामान्य मनुष्यों और जीवों, अपने पूर्वजों और स्वयं की अलग-अलग पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार व्यक्ति अपने हृदय के मूल में स्थित सर्वोच्च सत्ता की पूजा करने में सक्षम होता है।
(श्रीमद भागवतम7.14.15)
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