हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कभी गिरते हैं

"हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कभी गिरते हैं कभी संभलते हैं पर एहसास किसी को नहीं होने देते हैं ऐसे है मेरे पापा जो मुझे कभी रोने नहीं देते हैं।"

 हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कभी गिरते हैं 
कभी संभलते हैं 
पर एहसास किसी को नहीं होने देते हैं
ऐसे है मेरे पापा
जो मुझे कभी
रोने नहीं देते हैं।

हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कभी गिरते हैं कभी संभलते हैं पर एहसास किसी को नहीं होने देते हैं ऐसे है मेरे पापा जो मुझे कभी रोने नहीं देते हैं।

आई लव यू पापा

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