थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए हम अपनी क़ब् | हिंदी शायरी Video

"थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए हम अपनी क़ब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गए तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए हमारी तिश्ना-नसीबी का हाल मत पूछो वो प्यास थी कि समुंदर में जा के लेट गए न जाने कैसी थकन थी कभी नहीं उतरी चले जो घर से तो दफ़्तर में जा के लेट गए ये बेवक़ूफ़ उन्हें मौत से डराते हैं जो ख़ुद ही साया-ए-ख़ंजर में जा के लेट गए तमाम उम्र जो निकले न थे हवेली से वो एक गुम्बद-ए-बे-दर में जा के लेट गए सजाए फिरते थे झूटी अना जो चेहरों पर वो लोग क़स्र-ए-सिकंदर में जा के लेट गए सज़ा हमारी भी काटी है बाल-बच्चों ने कि हम उदास हुए घर में जा के लेट गए - Munawwar Rana ©star...M "

थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए हम अपनी क़ब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गए तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए हमारी तिश्ना-नसीबी का हाल मत पूछो वो प्यास थी कि समुंदर में जा के लेट गए न जाने कैसी थकन थी कभी नहीं उतरी चले जो घर से तो दफ़्तर में जा के लेट गए ये बेवक़ूफ़ उन्हें मौत से डराते हैं जो ख़ुद ही साया-ए-ख़ंजर में जा के लेट गए तमाम उम्र जो निकले न थे हवेली से वो एक गुम्बद-ए-बे-दर में जा के लेट गए सजाए फिरते थे झूटी अना जो चेहरों पर वो लोग क़स्र-ए-सिकंदर में जा के लेट गए सज़ा हमारी भी काटी है बाल-बच्चों ने कि हम उदास हुए घर में जा के लेट गए - Munawwar Rana ©star...M

R.I.P. MUNAWAR RANA SAHAB

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