कभी इन रास्तों पर हम तुम गुज़रे थे, शायद हाँ शायद ग

"कभी इन रास्तों पर हम तुम गुज़रे थे, शायद हाँ शायद गुज़रे थे, याद है तुमको, तुमने एक सवाल किया था, कि ये जिंदगी का सफ़र केसा गुज़रा अब तक कुछ दंस्ता हमे भी सुनाओ, तब क्या सुनता मैं दंस्ता अपनी, मेरे हर सफ़र कि मंजिल तुम ही थी। "##KT""

 कभी इन रास्तों पर
हम तुम गुज़रे थे, शायद
हाँ शायद गुज़रे थे,
याद है तुमको,
तुमने एक सवाल किया था,
कि
ये जिंदगी का सफ़र केसा गुज़रा अब तक
कुछ दंस्ता हमे भी सुनाओ,
तब क्या सुनता मैं दंस्ता अपनी,
मेरे हर सफ़र कि मंजिल तुम ही थी।
   
       "##KT"

कभी इन रास्तों पर हम तुम गुज़रे थे, शायद हाँ शायद गुज़रे थे, याद है तुमको, तुमने एक सवाल किया था, कि ये जिंदगी का सफ़र केसा गुज़रा अब तक कुछ दंस्ता हमे भी सुनाओ, तब क्या सुनता मैं दंस्ता अपनी, मेरे हर सफ़र कि मंजिल तुम ही थी। "##KT"

#Path

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