बिन कहे भी बोहत कुछ केहे जाते हो माँ
बिन सुने भी दिल की आवाज़ सुन लेती हो माँ,
अब कैसे बताऊँ तेरे तारीफ़ों मैं
जो अपनो को भी खो दिया है तूने
परायों को अपना बनाने के लिए,
खुद के ख्वाब को बिखरा छोड़ के
मेरे सपनो को हिम्मत दिया है तूने,
जो उड़ान तुझे भरनी थी मेरे खातिर
अपनी पँखो को बेचते देखा है मेने,
कैसे बिन थके आज भी पुरा काम कर जाती हो
पापा के बाद तुम ही तो घर का बोझ उठाती हो,
अपनी थाली से चावल उठाके मेरा पेट भरती हो
नाजाने ऐसे हिम्मत कहाँ से तुम लाती हो,
अब तेरी आँचल के सामने तो हर
मुश्किल आसान लगती है,
सिर्फ एक ही दिन में तेरा कर्जा उतार दू
ऐसा कैसे हो सकता है,
बस Mother's Day तो एक बहाना है
मेरे लिए तो हर दिन ही तेरा है ।
Happy Mother's Day
©Smrutirekha Dash
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