इतने दिनों पर, अब जा कर, यह बात समझ में आयी है.. | हिंदी कविता

"इतने दिनों पर, अब जा कर, यह बात समझ में आयी है.. कि दर्द बयान ना कर पाने का, यह दर्द बड़ा दुखदायी है... मुस्काती तुम थी इंद्रधनुष सी, फ़िर घटा काली क्यों छायी है.. देख तेरी हालत को ऐसी अब आंख मेरी भर आयी है... और दर्द बयान ना कर पाने का, यह दर्द बड़ा दुखदायी है... --- Abhijeet."

 इतने दिनों पर, अब जा कर,
यह बात समझ में आयी है.. 
कि दर्द बयान ना कर पाने का, 
यह दर्द बड़ा दुखदायी है... 

मुस्काती तुम थी इंद्रधनुष सी,
फ़िर घटा काली क्यों छायी है.. 
देख तेरी हालत को ऐसी
अब आंख मेरी भर आयी है... 

और दर्द बयान ना कर पाने का,
यह दर्द बड़ा दुखदायी है... 

                                           --- Abhijeet.

इतने दिनों पर, अब जा कर, यह बात समझ में आयी है.. कि दर्द बयान ना कर पाने का, यह दर्द बड़ा दुखदायी है... मुस्काती तुम थी इंद्रधनुष सी, फ़िर घटा काली क्यों छायी है.. देख तेरी हालत को ऐसी अब आंख मेरी भर आयी है... और दर्द बयान ना कर पाने का, यह दर्द बड़ा दुखदायी है... --- Abhijeet.

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