आज भी पलकें उन्ही राहों पर बिछा कर रखी है,जहां तुम
"आज भी पलकें उन्ही राहों पर बिछा कर रखी है,जहां तुम सब कुछ छोड़ कर चले गए थे ।
बस इसी उम्मीद के साथ कि अगर इस बार भुले से भी लौटे तो बस हमेशा के लिए ठहर जाओगे ।।
alfaaz_2628
Muskan Gupta"
आज भी पलकें उन्ही राहों पर बिछा कर रखी है,जहां तुम सब कुछ छोड़ कर चले गए थे ।
बस इसी उम्मीद के साथ कि अगर इस बार भुले से भी लौटे तो बस हमेशा के लिए ठहर जाओगे ।।
alfaaz_2628
Muskan Gupta