अंधेरों में भी जाने कितने ही आफ़ताब हैं, जो हाथो | हिंदी Poetry Video

" अंधेरों में भी जाने कितने ही आफ़ताब हैं, जो हाथों में समेटे है वो उसकी आँखों का आब है, तुम जितना जानते हो उसको उसके भी परे... इक गहरा सैलाब है...।। और वो भी कहाँ ग़ाफ़िल है कि चाँद में बहुत दाग है....!!! ©Vaishnavi "

अंधेरों में भी जाने कितने ही आफ़ताब हैं, जो हाथों में समेटे है वो उसकी आँखों का आब है, तुम जितना जानते हो उसको उसके भी परे... इक गहरा सैलाब है...।। और वो भी कहाँ ग़ाफ़िल है कि चाँद में बहुत दाग है....!!! ©Vaishnavi

Bahut Daag Hai.... ☻️🤍

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