सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह देखो तो इक शिक | हिंदी कविता

"सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में ©विवेक तिवारी"

 सोचो तो सिलवटों से भरी है
 तमाम रूह देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में

©विवेक तिवारी

सोचो तो सिलवटों से भरी है तमाम रूह देखो तो इक शिकन भी नहीं है लिबास में ©विवेक तिवारी

#अरमानों

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