तो इतनी खुंखार मैं क्यों हू
अगर हाथ लगा दे कोई
तो जलाकर खांक मैं कर दू
इतना खुंखार होने के बाद भी
कहती हू की नहीं है हिम्मत कोई
ऐसा कैसे हो सकता है
मन मज़बूत हो शरीर कमजोर पड़ जाए
मुझसे डरकर तो इंसान बदल जाए
जब बदल सकता है डरकर इन्सान मुझसे
तो क्या खुद को हराने के लिये
मैं काफ़ी नहीं
क्यों रौऊ मैं अपने अश्को को बहाकर
इतनी कमजोर तो मैं नहीं
👉👉👉👉👉👉👉👉
©Komal Sagar