कागजों की ये महक ये नशा अब रूठने को है। यकीनन ये | हिंदी Poetry

"कागजों की ये महक ये नशा अब रूठने को है। यकीनन ये आखरी सदी है किताबों से इश्क की ©RAKESH Bihari"

 कागजों की ये महक ये नशा अब रूठने को है। 
यकीनन ये आखरी सदी है किताबों 
से इश्क की

©RAKESH Bihari

कागजों की ये महक ये नशा अब रूठने को है। यकीनन ये आखरी सदी है किताबों से इश्क की ©RAKESH Bihari

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