तिथि 3 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार विधा गजल यह स | हिंदी कविता Video

"तिथि 3 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार विधा गजल यह सड़क सुनसान है और इस कदर सोचा न था। यह शहर वीरान है और इस कदर सोचा न था।। थम गए पहिए समय भी और दहशत व्याप्त है । आफतों में जान है और इस कदर सोचा न था।। वे जहां भी जा रहे हैं जिंदगी की खोज में। मौत का सामान है और इस कदर सोचा न था।। भूख है दाने नहीं है छूत से भयभीत हैं। ये कहां प्रस्थान है ?और इस कदर सोचा न था।। मर चुके हैं लोग कितने और गिनती बढ़ रही । फिर अभी अनुमान है और इस कदर सोचा न था ।। वक्त लंगड़ा हो गया है और वैशाखी कहीं । ढूंढ कर परेशान है और इस कदर सोचा न था।। बन रहा किसके लिए फिर कौन सोएगा वहां? दिख रहा शमशान है और इस कदर सोचा न था।। सुनील गुप्ता केसला रोड सीतापुर"

तिथि 3 अप्रैल 2020 दिन शुक्रवार विधा गजल यह सड़क सुनसान है और इस कदर सोचा न था। यह शहर वीरान है और इस कदर सोचा न था।। थम गए पहिए समय भी और दहशत व्याप्त है । आफतों में जान है और इस कदर सोचा न था।। वे जहां भी जा रहे हैं जिंदगी की खोज में। मौत का सामान है और इस कदर सोचा न था।। भूख है दाने नहीं है छूत से भयभीत हैं। ये कहां प्रस्थान है ?और इस कदर सोचा न था।। मर चुके हैं लोग कितने और गिनती बढ़ रही । फिर अभी अनुमान है और इस कदर सोचा न था ।। वक्त लंगड़ा हो गया है और वैशाखी कहीं । ढूंढ कर परेशान है और इस कदर सोचा न था।। बन रहा किसके लिए फिर कौन सोएगा वहां? दिख रहा शमशान है और इस कदर सोचा न था।। सुनील गुप्ता केसला रोड सीतापुर

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