भूत प्रेत दरबार में इसके, मस्तक स्वयं झुकाते हैं। | हिंदी कविता

"भूत प्रेत दरबार में इसके, मस्तक स्वयं झुकाते हैं। काल भी इसके सम्मुख आकर, हाथ जोड़ टल जाते हैं। ©Chaudhary Manish"

 भूत प्रेत दरबार में इसके,
मस्तक स्वयं झुकाते हैं।
काल भी इसके सम्मुख आकर,
हाथ जोड़ टल जाते हैं।

©Chaudhary Manish

भूत प्रेत दरबार में इसके, मस्तक स्वयं झुकाते हैं। काल भी इसके सम्मुख आकर, हाथ जोड़ टल जाते हैं। ©Chaudhary Manish

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