#अब और दिल नहीं करता" जन्नत की आरज़ू में ,कई बार | हिंदी शायरी Vi

"#अब और दिल नहीं करता" जन्नत की आरज़ू में ,कई बार लुट चुके हैं, फिर से ख़्वाब देखने का, अब और दिल नहीं करता। कपड़ों की तरह यार, बदलते हैं हुस्न वाले, आजकल सिर्फ़ मोहब्बत से, इनका दिल नहीं भरता। पैसों से मोहब्बत के, तो कितने ठिकाने हैं, ख़ुद से फ़रेब करने का, अब और दिल नहीं करता। ©Anuj Ray "

#अब और दिल नहीं करता" जन्नत की आरज़ू में ,कई बार लुट चुके हैं, फिर से ख़्वाब देखने का, अब और दिल नहीं करता। कपड़ों की तरह यार, बदलते हैं हुस्न वाले, आजकल सिर्फ़ मोहब्बत से, इनका दिल नहीं भरता। पैसों से मोहब्बत के, तो कितने ठिकाने हैं, ख़ुद से फ़रेब करने का, अब और दिल नहीं करता। ©Anuj Ray

# अब और दिल नहीं करता"

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