हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्ष | English Quotes

"हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्षाएं, ढेरों यातनाएं, मनरूद्ध कुंठाएं,रातों में करवटों के ताने और कई पहरों की चिंताएं; इतनी कीमत चुकानी पड़ती हैं एक स्त्री को एक बार “मायके” जाने की। पंकज ’सुमन’ ©pankaj suman"

 हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्षाएं, ढेरों यातनाएं, मनरूद्ध कुंठाएं,रातों में करवटों के ताने और कई पहरों की चिंताएं; इतनी कीमत चुकानी पड़ती हैं एक स्त्री को एक बार “मायके” जाने की।

पंकज ’सुमन’

©pankaj suman

हजारों मिन्नतें, सैकड़ों उलाहनाएं, कितनी ही उपेक्षाएं, ढेरों यातनाएं, मनरूद्ध कुंठाएं,रातों में करवटों के ताने और कई पहरों की चिंताएं; इतनी कीमत चुकानी पड़ती हैं एक स्त्री को एक बार “मायके” जाने की। पंकज ’सुमन’ ©pankaj suman

#मायका #स्त्री #स्त्रीअस्तित्व #स्त्रीजीवन

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