बेशक दरम्यान हमारे हैं मीलों के फासले
मगर मैं तुमसे रोज मिलती हूं
तुम्हारे साथ बिताए हुए उन पलों की यादों में
मैं तुमसे रोज मिलती हूं
जब थामा था तुमने हाथ मेरा
बड़ा प्यारा था वो साथ तेरा
उन एहसासों में मैं तुमसे रोज मिलती हूं
जब पहली बार तुमने मुझे अपनी बाहों में भरा था
मेरे होठों को नहीं मेरे माथे को चूमा था
तुम्हारे उस अंदाजे बयां से मैं रोज मिलती हूं
अब तो दिल में नहीं रूह में जा बसे हो
रूह से रूह तक के इस सफर में
मैं तुमसे रोज मिलती हूं
मैं तुमसे रोज मिलती हूं।।
©Garima Srivastava
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