अवसादों से घिरे हुए यहां, कितने चेहरे देखे हैं पहल | हिंदी शायरी

"अवसादों से घिरे हुए यहां, कितने चेहरे देखे हैं पहले सपने देखे फिर, सपनों पर पहरे देखे हैं ©pratibha"

 अवसादों से घिरे हुए यहां, कितने चेहरे देखे हैं
पहले सपने देखे फिर, सपनों पर पहरे देखे हैं

©pratibha

अवसादों से घिरे हुए यहां, कितने चेहरे देखे हैं पहले सपने देखे फिर, सपनों पर पहरे देखे हैं ©pratibha

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