गहरा गई हैं शक की सुइयां इस कदर। चीर के रख दो कलेज | हिंदी शायरी

"गहरा गई हैं शक की सुइयां इस कदर। चीर के रख दो कलेजा विश्वास नहीं होगा। में खामखां उसको अपनी जान समझ बैठा। मुझे क्या पता वो पीठ पीछे किसी और का होगा। ©manish kumar gaur"

 गहरा गई हैं शक की सुइयां इस कदर।
चीर के रख दो कलेजा विश्वास नहीं होगा।
में खामखां उसको अपनी जान समझ बैठा।
मुझे क्या पता वो पीठ पीछे किसी और का होगा।

©manish kumar gaur

गहरा गई हैं शक की सुइयां इस कदर। चीर के रख दो कलेजा विश्वास नहीं होगा। में खामखां उसको अपनी जान समझ बैठा। मुझे क्या पता वो पीठ पीछे किसी और का होगा। ©manish kumar gaur

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