नारी तेरे कितने रूप
तुझसे पावन जीवन की हर धूप,
तू है अन्नपुर्णा, तू है जननी
है इस सृष्टि का आधार,
तू है दुर्गा और सरस्वती,
है शक्ति का स्वरूप साकार,
स्नेहिल व्यक्तित्व से सुगंधित
महकते रिश्तों का जहान,
नारी तू है स्वाभिमान,
नारी तू है महान्।
©Sonal Panwar
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