हया को कर परे थोड़ा,
चंद लम्हों के लिए सही
पर दिल में थोड़ीसी
बेपरवाही तो आने दे।
यूँहीं बस,
बंद खिड़की से,
ना देखा कर
चांद को ऐसे!
कभी तो शीशे खोलकर,
उसकी चांदनी को आने दे।
©Anshu Mishra
#Bichmepardanarakh
बीच में परदा ना रख
हया को कर परे थोड़ा,
चंद लम्हों के लिए सही
पर दिल में थोड़ी सी
बेपरवाही तो आने दे।
यूँहीं बस, बंद खिड़की से
चांद को कब तक देखेगी ऐसे!