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आशिकी के गीत गाता क्यों नहीं।
प्यार है तो फिर बताता क्यों नहीं।
इश्क में पड़कर जलेगा ये शहर
बेवफा को भूल पाता क्यों नहीं ।
खूब असली में नकल बढ़ता चला
आदमी असली दिखाता क्यों नहीं।
पीर हमको इश्क की जबसे मिली
प्यार प्याले में समाता क्यों नहीं।
भोर था लेकिन मुझे किनारा किया
बस सितम का दर्द जाता क्यों नहीं।
के एल महोबिया ✍️🙏
©K L MAHOBIA
#दिल से :- के एल महोबिया