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कब तक तड़पाओगी अब आ भी जाओ न,
ज़्यादा कुछ नहीं दो पल सोहबत में बिताओ न।
इज्तिरार हैं इतने के बयां क्या करूँ,
ज़रा सुकून का मुझे एहसास दिलाओ न।
जानती हो नज़रें तरस रही हैं इंतज़ार में,
अब इन्हें और तरसाओ न।
शिकवे शिकायत जो करोगी मंजूर है मुझे,
बस इस तरह बेतहाशा रुलाओ न।
कहीं बेकरारी में साँसें न थम जाएं मेरी,
इल्तिज़ा है अब ज़्यादा वक्त लगाओ न।
©Aarzoo smriti
#Kub Tak tadpaogi ..ab aa v Jao n