जब अपनों की याद आती है
तब उनको सपनों में देख आती हूं
किसी पल यहाँ तो किसी पल वहाँ
मैं पूरी दुनिया की शैर कर आती हूं,
जो देखने को असलियत में नहीं मिलता
उसे मैं सपनों में देख आती हूं
जो जिंदगी मुझे ऐसे नहीं मिलती
उसे मैं सपनों में जी लेती हूं,
जो दर्द दुनियां से मिलते हैं
जो आँशु आंखों से बहते हैं
उसको सपनो में भूल जाती हूं
सपनों में जाते ही
मैं तो खुद में ही खो जाती हूं,
ऐसा लगता है जैसे सपनों में
मैं एक नई जिंदगी जी लेती हूं
जो खुशियां हकीकत में नहीं मिलती
मै उसे सपनो में पा जाती हूं।
©Sankranti
#Dream