ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभ | हिंदी शायरी

"ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे । जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३ मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का । यहाँ लोग करना दगा जानते हैं ।।४ मुझे बस है उम्मीद अपने सनम से । कि देना वही इक दुआ जानते हैं ।। ५ न रहता मेरा दिल कभी दूर उनसे । मगर लोग सारे  जुदा जानते हैं ।।६ ठहरती नहीं है नज़र उन पे कोई । तभी से उन्हें हम बला जानते हैं ।।७ नही प्यार तू उस तरह कर सकेगा । वो करना हमेशा जफ़ा जानते हैं ।।८ न पूछो प्रखर तुम हँसी वो है कितना । कहूँ सच तो सब अप्सरा जानते हैं ।।९ ३०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 ग़ज़ल :-
वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं ।
कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१
लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।।
न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२
मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे ।
जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३
मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का ।
यहाँ लोग करना दगा जानते हैं ।।४
मुझे बस है उम्मीद अपने सनम से ।
कि देना वही इक दुआ जानते हैं ।। ५
न रहता मेरा दिल कभी दूर उनसे ।
मगर लोग सारे  जुदा जानते हैं ।।६
ठहरती नहीं है नज़र उन पे कोई ।
तभी से उन्हें हम बला जानते हैं ।।७
नही प्यार तू उस तरह कर सकेगा ।
वो करना हमेशा जफ़ा जानते हैं ।।८
न पूछो प्रखर तुम हँसी वो है कितना ।
कहूँ सच तो सब अप्सरा जानते हैं ।।९
३०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे । जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३ मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का । यहाँ लोग करना दगा जानते हैं ।।४ मुझे बस है उम्मीद अपने सनम से । कि देना वही इक दुआ जानते हैं ।। ५ न रहता मेरा दिल कभी दूर उनसे । मगर लोग सारे  जुदा जानते हैं ।।६ ठहरती नहीं है नज़र उन पे कोई । तभी से उन्हें हम बला जानते हैं ।।७ नही प्यार तू उस तरह कर सकेगा । वो करना हमेशा जफ़ा जानते हैं ।।८ न पूछो प्रखर तुम हँसी वो है कितना । कहूँ सच तो सब अप्सरा जानते हैं ।।९ ३०/०४/२०२४    -   महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-
वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं ।
कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१
लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।।
न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२
मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे ।
जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३
मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का ।

People who shared love close

More like this

Trending Topic